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मेरी वंदे भारत ट्रेन यात्रा – एक यादगार अनुभव

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हाल ही में मैंने दो दिन काशी (वाराणसी) घूमने का प्लान बनाया था। वापसी में हमारी ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस (ट्रेन नं. 22435) थी, जो दोपहर 3 बजे वाराणसी से नई दिल्ली के लिए रवाना होती है।
हमने रेलवे स्टेशन पर करीब 2 बजे पहुंच कर वेटिंग रूम में इंतज़ार किया। तभी देखा कि ट्रेन पहले ही प्लेटफार्म नंबर 1 पर लग चुकी थी। 2:40 PM पर गेट्स खुले और हम आराम से अपने कोच C10 में जाकर बैठ गए।


अद्भुत सहयोग और सकारात्मक माहौल

मेरी फैमिली में तीन लोग थे, लेकिन सीटें अलग-अलग थीं। तभी एक मैडम से अनुरोध किया गया और उन्होंने खुशी-खुशी सीट बदल ली, जिससे हम तीनों साथ बैठ पाए। यात्रियों का सहयोग देख कर दिल खुश हो गया।
ट्रेन में बैठते ही फ्री वाटर बॉटल मिली जो टिकट में शामिल थी। तेज़ गर्मी में ट्रेन का फुल AC सुकूनदेह था, लेकिन थोड़ा ज़्यादा ठंडा लगने पर मैंने कोच में दिए गए हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया। वहां से एक व्यक्ति ने बहुत polite तरीके से बात की और तुरंत AC कम करवा दिया।

साफ-सफाई और सुविधा

हमने ऑनबोर्ड स्नैक्स ऑर्डर किए क्योंकि टिकट बुक करते समय हमने “No Food” सिलेक्ट किया था। जो स्टाफ आया, उसने पहले खाना दिया और बाद में पैसे लिए – यह भरोसे का एहसास कराता है। खाने के बाद सफाई भी तुरंत हो गई।
टॉयलेट्स बहुत साफ़ थे – एक इंडियन और एक वेस्टर्न। हाइजीन का ध्यान बखूबी रखा गया था।
बाहर का व्यू, विंडो शील्ड, और स्क्रीन पर दिखाई जाने वाली जानकारी (स्पीड, टाइम, स्टेशन) यात्रा को और भी बेहतर बना रही थी।

अचानक आई एक मुश्किल

जैसे ही सब कुछ ठीक चल रहा था, मेरी 8 साल की बेटी की तबीयत बिगड़ गई। उसे पहले से पेट दर्द था, ट्रेन में चढ़ते ही उसने 3-4 बार उल्टी की और सिरदर्द शुरू हो गया। हम बहुत घबरा गए।
जब कोई दवा काम नहीं आई, तो मैंने फिर से हेल्पलाइन पर कॉल किया। कुछ ही मिनटों में ट्रेन में अनाउंसमेंट हुआ – “अगर कोई डॉक्टर है तो कृपया C10 कोच में सीट नं. 52 पर जाए।”

मानवता की मिसाल

5 मिनट के अंदर ही 4 डॉक्टर एक-एक करके पहुंचे। उन्होंने मेरी बेटी को देखा। सच में, ऐसे डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं।
ट्रेन स्टाफ ने अपनी फर्स्ट-एड किट से दवाई दी, डॉक्टरों की सलाह से उसे दिया गया। कुछ ही देर में मेरी बेटी को राहत मिली और वह सो गई।


धन्यवाद और आभार

यह यात्रा मेरे लिए भावुक और यादगार रही। मैं धन्यवाद देना चाहता हूं:

  • वंदे भारत ट्रेन के निर्माताओं को,
  • उसके विनम्र और मददगार स्टाफ को,
  • यात्रियों को, और
  • उन देवदूत जैसे डॉक्टरों को।

इस यात्रा ने मुझे यह सिखाया कि अगर सिस्टम अच्छा हो, लोग मददगार हों, तो कोई भी यात्रा आरामदायक और सुरक्षित बन सकती है।

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